लहुफ़


अल लहुफ़ अला क़तला अल तोफुफ़ - एक दिल को झकझोर देने वाला और सच्चा मुताला है जिसमे इमाम हुसैन अल्लेहिस्सलम के ऊपर किये गए मज़लिम और उनकी क़ुरबानी का  तज़केरा है| इस किताब को 664 हिजरी में सय्यद इबने ताउस ने क़लमबंद किया|  सय्यद इबने ताउस सातवी सदी में हुए बहुत आला दर्जे के शिया मुस्सनिफ और आलिम ए दीन गुज़रे हैं| इनका ख़ानदान इल्मी तौर पर बहुत आगे था जिसमे हर इल्म के आलिम मौजूद थे| 

लहूफ 3 भागो में विभाजित है

  1. वो वाक़ियात जो इमाम हुसैन अल्लेहिस्सालम की शहादत से पहले रुनुमा हुए
  2. आशुर के रोज़ इमाम हुसैन और उनके साथियों द्वारा दी गयी क़ुरबानी का विस्तृत व्याख्यान
  3. इमाम हुसैन की शहादत के बाद के वाक़ियात

सन 60 हिजरी में माविया इब्ने अबी सुफियान की मौत हुई उसके तुरंत बाद उसके बेटे यज़ीद ने मदीना के गवर्नर वलीद इब्ने उत्बा को ख़त लिखकर ये हुक्म दिया की या तो हुसैन इब्ने अली से बयत लो और अगर बयत न मिले तो उनका सर क़लम करके मेरे पास भेजो|

ख़त पढ़कर वलीद ने मरवान इब्ने हकम को मशवरे के लिये बुलाया| मरवान ने कहा हुसैन हरगिज़ बयत नहीं करेंगे और मैं तुम्हारी जगह होता तो उनका सर क़लम कर देता|

वलीद कहता है काश मेरी माँ ने मुझे पैदा ही न किया होता|

यह सुनकर वलीद इमाम हुसैन को बुला भेजता है|  इमाम हुसैन अपने परिवार के 30 आदमियों के साथ वलीद से मिलने पहुंचते हैं|  इमाम हुसैन अकेले वलीद के दरबार में जाते हैं और अपने साथियों से फरमाते हैं कि अगर मेरी ऊंची आवाज सुनो तो अंदर आ जाना|

अंदर जाने पर वलीद इमाम हुसैन को बताता है कि माविया मर गया है और यजीद का खत आया है जिसमें यजीद ने आपसे बयत तलब करने के लिए मुझे हुकुम दिया है|

इमाम हुसैन कहते हैं की बयत करना कोई ढका छुपा काम नहीं है यह तो दिन के उजाले में सबके सामने मैं अपना फैसला सुनाऊंगा|

मरवान वलीद से कहता है कि अगर इस वक्त हुसैन से बयत न ले पाए तो यह फिर हाथ ना आएंगे और  वलीद इमाम हुसैन का सर क़लम करने के लिए कहता है|

यह सुनकर इमाम हुसैन को जलाल जाता है और वह कहते हैं ओ इब्ने ज़रका  मुझे तू कत्ल करेगा क्या यह वलीद,  ख़ुदा की कसम तू झूठा और मक्कार है|

फिर इमाम हुसैन वालिद की तरफ मुखातिब होकर कहते हैं|  ओ अमीर हम खानदाने  नबूवत हैं और हम नबी के अहले बैत हैं|  हम उस घर से ताल्लुक़ रखते हैं जिसके दरवाजे पर फरिश्ते आया जाया करते थे अल्लाह ने अपने कलाम को हमारे घर से शुरू किया और हम पर ही उसका इख्तेताम फरमाया|

यजीद एक फ़ासिक़ और फाजिर है  जो शराब पीता है, कातिल है और उसने मासूम लोगो का पाक खून बहाया है| ये  सब बाते उसे ख़िलाफ़त के लायक़ नहीं रहने देती| मेरे जैसा शख्स यज़ीद जैसे की बयत नहीं कर सकता| मैं कल सुबह  इसका मुताला करूँगा और देखूंगा की कौन ख़लीफा बनने लायक़ है|

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